तुलसीदास ने मधुर वचन के महत्व का कैसे वर्णन किया है?
मधुर वचन के बारे में तुलसीदास जी कहते हैं कि मीठा बोलने से हमारे मन में रहनेवाला अहंकार मिट जाता है। ठीक वैसे ही, जैसे कि उफनते हुए दूध पर थोड़ा-सा ही शीतल (ठंडा) जल छिड़कने से उफनता हुआ दूध नीचे बैठ जाता है।