तुलसीदास कुल रीति के पालन करने के सम्बन्ध में क्या कहते हैं?
तुलसीदास जी कहते हैं कि हमें अपने कुल के रीति-रिवाज अथवा कुल की परंपरा का कभी त्याग नहीं करना चाहिए। जो लायक हो उसी से ब्याह कीजिए, जो लायक हो उसी से बैर कीजिए और जो लायक हो, उसी से प्रीति या प्रेम कीजिए।