+2 votes
in Class 11 by kratos

ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:

काम, क्रोध, मद, लोभकी, जौ लौं मन में खान।
तौं लौ पंडित मूरखौ, तुलसी एक समान।।

1 Answer

+2 votes
by kratos
 
Best answer

प्रसंग : प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘तुलसीदास के दोहे’ नामक संग्रह से लिया गया है। इसके रचयिता तुलसीदास हैं।
संदर्भ : तुलसीदास जी कहते है कि व्यक्ति चाहें जितना बड़ा विद्वान क्यों न हो, जब तक उसके पास अहंकार और लोभ जैसे संस्कार उसमें विद्यमान रहते हैं तब तक वह मूर्ख के समान ही होता है।
स्पष्टीकरण : तुलसीदास कहतें हैं- जब तक हमारे मनरूपी खजाने में काम-क्रोधा आदी अरिषड्वर्ग स्थिर रहते हैं तब तक मूर्ख और पंड़ित एक समान होते हैं। एक साधारण मनुष्य जो उपरोक्त मनोविकारों से बचकर रहता है, वही महान होता है। नहीं तो बड़ा पंडित भी मूर्ख बन जाता है।

...