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in Class 11 by kratos

दोहे का भावार्थ लिखें:

तुलसी संत सुअंब तरु, फूलि फलहिं पर-हेत।
इतते ये पाहन हनत, उतते वे फल देत ॥३॥

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by kratos
 
Best answer

तुलसीदास जी कह रहे हैं कि संत पुरुष उस आम के वृक्ष की भाँति होते हैं। जो आम का वृक्ष दूसरों का उपकार करने के लिए ही फलता-फूलता है। लोग धरती से उसकी ओर पत्थर फेंकते हैं, तो वह आम का फल उन्हें प्रदान करता है। उसी प्रकार संतों का चाहे जितना ही अपमान क्यों न किया जाय, पर वे हम लोगों का उपकार ही करते हैं।

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