मीराबाई कृष्ण की अनन्य भक्त है। वह अपना सब कुछ कृष्ण के लिए समर्पित करती है। वह कहती है, मेरे तो केवल गिरधर गोपाल हैं, दूसरा कोई नहीं है। इसी कारण मैं ने उसे पाने के लिए भाई-बन्धु, समस्त परिवार को छोड़ दिया है। साधु-संतों की संगती में बैठकर लोक लाज़ खोया है। अपने आँसुओं से सींच-सींच कर अपने हृदय में कृष्ण के प्रेम की बेल बो लिया है। जब राणा ने मुझे कृष्ण भक्ति से विमुख करने के लिए विष का प्याला भेजा तो प्रसन्नता से पी लिया। मेरी लगन गिरधर कृष्ण से लग गई है, यह छूट नहीं सकती।