मीराबाई के अनुसार धरती और आसमान में जितनी दूर तक दृष्टि जाए, सबकुछ नश्वर है। जो जन्म लेता है, वह एक-न-एक दिन अवश्य मरता है। यह शरीर नश्वर है। मनुष्य को इस नाशवान शरीर के लिए गर्व नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह शरीर मिट्टी से बना है और मिट्टी में मिल जायेगा। यह जीवन चिड़ियों के खेल के समान है, जीवन की साँझ होते ही सबकुछ खतम हो जायेगा।