प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘मीराबाई के पद’ से लिया गया है, जिसकी रचयिता मीराबाई हैं।
संदर्भ : प्रस्तुत पद में मीराबाई कहती हैं कि मैंने सारा संसार देख लिया है इस संसार में कोई किसी का नहीं होता है, एक प्रभु कृष्ण ही हैं और कोई नहीं है।
स्पष्टीकरण : मीराबाई कहती हैं कि मेरे तो गिरधर गोपाल हैं, दूसरा कोई नहीं है। साधुसंतों के बीच बैठकर मैं खुश हूँ और अपने इष्ट की प्राप्ति के लिए ही मैंने भाई-बन्धु तथा अपने सगे-संबंधियों को छोड़ दिया है। साधुसंग बैठकर मैंने लोकलाज त्याग दी है। भक्तों की संगत उन्हें खुशी देती है। जगत के लोगों का इस तरह संसार रूपी मायाजाल में फँसा देखकर उन्हें रोना आता है। लोग इस बात को नहीं जानते। मैं तो कृष्ण की दीवानी हूँ।