प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘मीराबाई के पद’ से लिया गया है। इसकी रचयिता मीराबाई हैं।
संदर्भ : प्रस्तुत पद में मीराबाई शरीर की नश्वरता, क्षणभंगुरता के बारे में बता रही हैं।
स्पष्टीकरण : मीराबाई आमजन को संदेश देती हुई कहती हैं कि इस शरीर पर घमंड नहीं करना चाहिए। इसका नष्ट होना तय है। यह मिट्टी का शरीर मिट्टी में ही मिल जाएगा। इस पर क्या गर्व करना? अर्थात् पंचमहाभूत से बना यह शरीर पंचमहाभूत में ही विलिन हो जाएगा। इसलिए अपने जीवन को सार्थक कामों में लगाना चाहिए। यह संसार चिड़िया के खेल की तरह है। जिस प्रकार चिड़िया दिनभर कलरव करती हैं, व्यस्त रहती हैं और शाम होते ही अपने घौंसलों में लौट जाती है, वैसे ही यह जीवन भी है। इसको भी एक दिन अपना काम समेटकर उठ जाना है। विशेष : भाषा राजस्थानी मिश्रित हिन्दी।
शरीर की क्षणभंगुरता का संदेश।
पंचमहाभूत – अग्नि, जल, हवा, आकाश एवं पृथ्वी।