कवयित्री प्रेम के संबंध में कहती है कि मैंने हमेशा जीवन में मधुर प्रेम का व्यवहार किया है। बदले में मुझे भी हमेशा प्रेम ही मिला है। मैं स्वयं प्रेम की मधुर भावना लिए हुए हूँ। मुझे यह संसार प्रेम का ही सागर दीखता है। प्रेम ही जीवन है। यह संसार प्रेम की ताकत पर ही चल रहा है।