बच्चन जी ने गूंज-गूंजकर मिटनेवाले गीत बनाये। वे चाहते है कि पाठक उनके गीत को गाकर उसे अमर कर दे। पाठकों के प्रति अपनी कृतज्ञता वे कुछ ऐसा भेंट देकर करना चाहते है जिसे देकर उन्हें कोई हानि न हो और बदले में पाठकों को सब कुछ मिल जाए। इस दान को स्वीकार करके पाठक उनके दान को अमर कर जायेंगे।