प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘तुम गा दो, मेरा गान अमर हो जाए’ से लिया गया है जिसके रचयिता डॉ. हरिवंशराय बच्चन’ हैं।
संदर्भ : कवि बच्चन जी अपने जीवन के बारे में बताते हुए कहते हैं कि उनका सारा जीवन दुःख में ही बीता है। और अंतिम घड़ी तक वह पाठकों से विनती करते है कि तुम गा दो मेरा गान अमर हो जाए।
स्पष्टीकरण : ‘बच्चन’ जी कहते हैं कि मेरा जीवन यद्यपि बहुत दुःख से बीता, तथापि मैंने सदा यही चाहा कि जीवन की अंतिम घड़ियों तक सुख की एक साँस के लिए अमरत्व को न्योछावर कर दूँ।