कवि प्रतिभा के मूल को सर्वत्र ढूँढते हैं। कवि प्रतिभा को महलों में, गुलगुले गलीचों पर, गुलाब की क्यारी में, वृद्धों की चिंता में और बच्चों की किलकारी में, चित्रकार की तुलिका में, शिल्पी की कला में, गायिका के स्वर में ढूँढ़ते है। प्रतिभा का मूल ढूँढने के लिए इधर-उधर भागते हैं।