प्रतिभा को प्राप्त करने के लिए कवि पाठकों को संदेश देते हुए कहते हैं- प्रतिभा हमेशा यातना, निरन्तर कष्ट सह सकने की ताकत में, संघर्षरत साधक में तथा असिधारा व्रत अर्थात् तलवार की तीखी धार पर चलने की कठोर प्रतिज्ञा जैसी इच्छा शक्ति रखने वाले मनुष्य में बसती है।