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in Class 11 by kratos

प्रतिभा का मूल बिन्दु कविता का भावार्थ लिखें।

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by kratos
 
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1) “कहाँ जन्म है तेरा?” मैंने पूछा जब प्रतिभा से,
“महलों में? गुलगुले गलीचों पर? गुलाब की क्यारी में?
वृद्धों की चिंता में? बच्चों की दंतहीन किलकारी में?
बोलो, तुम रहती कहाँ? जानने को हम सब हैं कितने प्यासे!”

कवि यह जानना चाहता है कि प्रतिभा का जन्म कहाँ हुआ है? अतः वह पूछता है- तुम्हारा जन्म कहाँ हुआ? महलों में? गलीचों पर? गुलाब की क्यारी में? वृद्धों की चिंता में? बच्चों की किलकारी में? बोलो, तुम कहाँ रहती हो?

1) “कहाँ जन्म है तेरा?” मैंने पूछा जब प्रतिभा से,
“महलों में? गुलगुले गलीचों पर? गुलाब की क्यारी में?
वृद्धों की चिंता में? बच्चों की दंतहीन किलकारी में?
बोलो, तुम रहती कहाँ? जानने को हम सब हैं कितने प्यासे!”

कवि यह जानना चाहता है कि प्रतिभा का जन्म कहाँ हुआ है? अतः वह पूछता है- तुम्हारा जन्म कहाँ हुआ? महलों में? गलीचों पर? गुलाब की क्यारी में? वृद्धों की चिंता में? बच्चों की किलकारी में? बोलो, तुम कहाँ रहती हो?

3) क्या निरी कल्पना प्रतिभा है, क्या निरी सूझ की तितिल-परी?
क्या प्रतिभा केवल नवनवीन विस्मय – उपजाऊ ऊहा है?
प्रतिभा क्या है सन्ध्या-भाषा? सिद्धों का पाहुड़-दूहा है?
प्रतिभा अनुभूति-रसायन है? गहरे ‘जीवन’ की चल-शफरी?

क्या कल्पना मात्र प्रतिभा है? क्या निरी सूझ की तितिल-परी प्रतिभा है? क्या प्रतिभा केवल नवीन विस्मय है? या उपजाऊ तर्क है? क्या प्रतिभा तांत्रिकों की भाषा है? या सिद्धों के दोहे? क्या प्रतिभा अनुभूति रसायन है? या गहरे पानी की चंचल. मछली?

4) प्रतिभा बोली – “यातना, निरन्तर कष्ट-सहन की ताकत में
मैं बसती हूँ संघर्ष-निरत साधक में, असिधारा-व्रत में।”

कवि को प्रतिभा से उत्तर मिला – मैं सदा निरन्तर कष्ट, यातना आदि में बसती हूँ। मैं बसती हूँ संघर्ष में निरन्तर प्रयास करने वाले साधक में और मैं रहती हूँ – तलवार की तीखी धार पर खड़े होने जैसी कठिन प्रतिज्ञा लेनेवाले मनुष्य में।

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