कवि की दुःखी आत्मा का परिचय दीजिए।
कवि अपनी दुखित और पीड़ित आत्मा के लिए कहता है कि हे मेरे मीत! मुझे चारों ओर से दुःख, दीनता व दरिद्रता ने घेर लिया है। इन सबसे मैं दुःखी हो गया हूँ। अब तुम आओ मेरे मित्र और मुझे इन झंझावातों से छुटकारा दिलाओ।