‘मत घबराना’ कविता में कवि नवयुवकों को जीवनपथ पर हमेशा आगे बड़ने का संदेश देते हैं। प्रकृति को प्रेरणा के रूप में चित्रित करते हुए कवि ने कहा है ‘मंजिल’ उन्हीं को मिलती है जो बाधाओं को चुनौती देकर धीर वीर के समान आगे बड़ते हैं। जो काँटों को फूल समझकर विपदाओं को स्वीकार करते हैं, जो कायर नहीं है, जो बहाने बनाकर निष्क्रीय नहीं होते वही ‘मंजिल’ को हासिल कर लेते हैं।