नारी बचपन में चिड़िया की तरह चहकती, फुदकती हुई इठलाती है जिसे देख माता-पिता के मन में आनंद की हिलोरें उठती हैं। जब वह ठुमक ठुमक कर चलती है, तो उसकी पैरों की पायलियाँ मधुर संगीत सुनाती है। नारी बचपन में आँगन की तुलसी की तरह घर की शोभा बढ़ाती है और सबको प्यारी लगती है।