मधुआ के मिलने से पहले शराबी का जीवन दिशाहीन तथा अस्तव्यस्त था। वह ठाकुर को कहानियाँ सुनाकर मिले हुए पैसों से शराब पीता था। जीवन में मधुआ आने के बाद शराबी ने शराब पीना छोड़ दिया। उसे जिम्मेदारी का एहसास हुआ। पारिवारिक बंधन का अर्थ समझ में आया। शराबी मधुआ के आने से इतना संवेदनशील हो गया कि मधुआ को पालने के लिए कुछ न कुछ काम करना चाहा तथा हमेशा मधुआ को साथ रखने का निर्णय लिया।