मधुआ एक गरीब बच्चा था। देखने में सुन्दर तथा गोरे बदनवाला। वह ठाकुर सरदार सिंह के यहाँ काम करता था। दिनभर कुँवर साहब का ओवरकोट लिए साथ घूमता। रात को नौ बजे तक काम करता, रोटी माँगने पर जमादार लल्लू से मार खाता। इस निर्धन बालक को पाकर शराबी का दिल पिघल जाता है। वह उसे अपने यहाँ ले जाकर पेट भर खिलाता है। सान धरने की कल से दोनों मिलकर कुछ कमाने लगे और इसी प्रकार जीवन बिताने लगे।