श्मशान कि दृष्टि में ‘मनुष्य प्रेम’ बहुत महत्वपूर्ण है। वह मनुष्य प्रेम को अलौकिक समझता है। वह मनुष्य के मन में अपने लिए भी थोड़ी जगह बनाना चाहता है। वह मनुष्य प्रेम को ‘निधि’ के समान मानता है जो उसके नसीब में नहीं है। उसका मानना है ‘मनुष्य प्रेम से ही जीवन को परिपूर्णता प्राप्त होती है। उसे अपना जीवन बेकार और निरर्थक लगता है। मनुष्य के पास जैसा प्रेममय हृदय है, उसे पाने के लिए वह अपने जैसे सौ जीवन भी कुर्बान करने के लिए तैयार है।