युवक पहली पत्नी की राख बटोरते बटोरते विलाप करने लगा – “तुम मुझे छोड़कर कहाँ चली गई सुकेशी? दो वर्षों में ही तुम मुझे अकेला छोड़कर चली गई। अब मैं तुम्हारे बिना जीवित नहीं रह सकता। तुम मुझे अपने पास बुला लो। तुम्हारे बिना यह जीवन व्यर्थ है, नीरस है। तुम मेरी प्रेरणा थीं। अब मैं जीवित रहकर करूँगा ही क्या?” इसी प्रकार वह रोता रहा, सिर फोड़ता रहा।