युवक अपनी तीसरी पत्नी की मृत्यु के पश्चात् उसके पहले वाले रूप में और आज के रूप में कोई अन्तर न था। उसकी बातें भी वही थीं, केवल इतना अंतर था कि आज उसे अपनी तीसरी पत्नी ही सबसे अधिक गुणी दिखाई दे रही थी। वह दावा कर रहा था कि तीसरी पत्नी से ही उसका सच्चा प्रेम था, पहली दो स्त्रियों का प्रेम बचपना था, नासमझी थी। पहली उसकी अनुगामिनी थीं, दूसरी सहगामिनी, तो तीसरी अग्रगामिनी थी, उसकी पथ-प्रदर्शिका थी, जिसके बिना वह एक कदम भी जीवित नहीं रह सकता।