दूसरी पत्नी की मृत्यु के बाद भी युवक का क्रंदन अत्यंत करुण था। उसकी चीत्कारें दिल को दहला देनेवाली थी। अपनी पत्नी की राख पर लौट लौट कर कहने लगा – मैंने स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि तुम मुझे इस तरह मझधार में छोड़कर चली जाओगी – अब मैं तुम्हारे बिना कैसे जीवित रहूँगा। तुमने अपनी मधुर मुस्कानों से एक दिन में ही मेरे मन से सुकेशी की व्यथा पोंछ दी थी। मुझे अपने पास बुला ले, अब मैं इस संसार में नहीं रह सकूँगा।