सन्तू वीरजी के घर का एक नौकर है। यह इस घर का पुराना नौकर है। वह चिलम का कश खुद भी लेता है और अन्यों से भी आग्रह करता है। बाबूजी वीरजी की सगाई में तुम्हें नहीं ले जाएंगे, कहकर मंगलसेन का मजाक उड़ाया करता था। मंगलसेन का स्वप्न साकार होते देख वह बोला – तुम जीत गये, बस वेतन मिलते ही तुम्हें दो रुपये दे दूंगा। काम दोनों ही करते थे, जब कि सन्तू नौकर था और मंगलसेन समधी थे। सन्तू कभी-कभी कामकाजों में उदासीन भी था। तब उसे डाँट खानी पड़ती थी।