समधियों के घर मंगलसेन की आवभगत बहुत ही जोरदार तरीके से की गई। मंगलसेन एक आरामकुर्सी पर बैठा था। एक आदमी पीछे पंखा चला रहा था। सभी आगे-पीछे घूम रहे थे। “क्या लाऊँ? क्या सेवा करूँ?” कहते थकते नहीं थे समधी। इस प्रकार मंगलसेन की आवभगत श्रद्धा के साथ ठाटबाट से की गई।