‘खून का रिश्ता’ कहानी में भीष्म साहनी जी ने सगाई की रस्म, रिश्तेदारों की अहमियत, सगाई में सवा रुपये लेना, आतिथ्य-सत्कार आदि घटनाओं का सजीव चित्रण किया है। वर्तमान परिवेश में कहानी अत्यंत प्रासंगिक है। आज के चकाचौंध भरे माहौल में सरल विवाह की महत्ता तथा खून के रिश्तों एवं पारिवारिक रिश्तों को निभाने पर बल देने के उद्देश्य से यह कहानी सफल कहानी है।