सन् 1970 की बात है। सिलिया ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ रही थी। लोग उसकी शादी के विषय में चर्चा करने लगे थे। उसी साल हिन्दी अखबार ‘नई दुनिया’ में एक विज्ञापन छपा – ‘शूद्रवर्ण की वधू चाहिए।’ मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के जाने-माने युवा नेता सेठीजी, एक अछूत कन्या के साथ विवाह करके, समाज के सामने एक आदर्श रखना चाहते थे। उनकी केवल एक ही शर्त थी कि लड़की कम-से-कम मैट्रिक हो।