हेमलता ठाकुर सिलिया के साथ ही पाँचवी कक्षा में पढ़ती थी। वह एक दिन सिलिया को लेकर अपनी बहन के घर आई। सिलिया के हाथ में पानी का गिलास देखकर मौसी ने पूछा – “कौन है….? किसकी बेटी है…..? कौन ठाकुर है…..?” हेमलता ने कहा – “मौसी जी, मेरी सहेली है, हमारे साथ ही आई है। इसके मामा-मामी इधर रहते हैं, मगर इसे उनका पता मालूम नहीं है। मौसी ने सिलिया की जाति पूछी। हेमलता ने धीरे से बता दिया। जाति का नाम सुनकर मौसीजी चौंक गई। सिलिया से पूछा – “गाडरी मुहल्ला के पास रहते हैं….?” तब मौसीजी ने प्रेम से कहा – “कोई बात नहीं बेटी, हमारा भैया तुम्हें साइकिल पर बिठाके वहाँ छोड़ आयेगा।” ऐसा कहते हुए मौसीजी पानी का गिलास लेकर अंदर चली गई।