सिलिया ने मन ही मन दृढ़ संकल्प किया कि वह बहुत आगे तक पढ़ेगी, पढ़ती रहेगी। उन सभी परम्पराओं के मूल कारणों का पता लगाएगी, जिन्होंने उन्हें समाज में अछूत बना दिया है। वह विद्या, बुद्धि और विवेक से स्वयं को ऊँचा साबित करके रहेगी। किसी के सामने नहीं झुकेगी। न ही कभी अपना अपमान सहन करेगी। सिलिया मन ही मन इन बातों का चिंतन-मनन करने लगी। एक दिन अपनी माँ और नानी के सामने उसने बड़े दृढ़ निश्चय के साथ कहा – “मैं शादी नहीं करूँगी। मुझे बहुत आगे तक पढ़ना है।”