घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। पूरा परिवार संकटग्रस्त था। जैसे-तैसे सात रोटियाँ बनाई गई। बड़े बेटे को, पति को, मंझले बेटे को दो-दो रोटियाँ परोस दी गईं। अंत में सिर्फ एक रोटी बची थी। पति की जूठी थाली में बची चने की तरकारी के साथ बनी जली रोटी रखने जा रही थी कि उसका ध्यान छोटे बेटे प्रमोद की ओर गया। रोटी के दो टुकड़े किए और एक अलग से रख दिया। फिर खाने बैठ गई। घर कि इस स्थिति से वह दुखी हुई और उसकी आँखों से आँसू टपकने लगी।