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in Class 12 by kratos

साहित्य का आधार जीवन है। इसी नींव पर साहित्य की दीवार खड़ी होती है। उसकी अटारियाँ, मीनार और गुंबद बनते हैं। लेकिन बुनियाद मिट्टी के नीचे दबी पड़ी है। जीवन परमात्मा की सृष्टि है, इसलिए सुबोध है, सुगम है और मर्यादाओं से परिमित है। जीवन परमात्मा को अपने कामों का जवाबदेह है या नहीं हमें मालूम नहीं, लेकिन साहित्य तो मनुष्य के सामने जवाबदेह है। इसके लिए कानून है जिससे वह इधर-उधर नहीं जा सकता। मनुष्य जीवन पर्यंत आनंद की खोज में लगा रहता है। किसी को वह रत्न द्रव्य में मिलता है, किसी को भरे-पूरे परिवार में, किसी को लंबे-चौड़े भवन में, किसी को ऐश्वर्य में। लेकिन साहित्य का आनंद इस आनंद से ऊँचा है। उसका आधार सुंदर और सत्य है। वास्तव में सच्चा आनंद सुंदर और सत्य से मिलता है, उसी आनंद को दर्शाना, वही आनंद उत्पन्न करना साहित्य का उद्देश्य है।

1) साहित्य और जीवन का क्या संबंध है?
2) इस गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
3) साहित्य के आनंद का क्या आधार है?
4) साहित्य का क्या उद्देश्य है?
5) परमात्मा की सृष्टि का वर्णन किस प्रकार किया है?

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by kratos
 
Best answer

1) साहित्य का आधार ही जीवन है। इसी की नींव पर साहित्य की दीवार खड़ी होती है।
2) ‘साहित्य और जीवन’।
3) साहित्य के आनंद का आधार सुंदर और सत्य है।
4) आनंद को दर्शाना और आनंद को उत्पन्न करना ही साहित्य का उद्देश्य है।
5) जीवन परमात्मा की सृष्टि है इसीलिए वह सुबोध है, सुगम है और मर्यादाओं से परिमित

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