विनय का अभाव एक प्रकार का खोखलापन प्रकट करता है। जिन लोगों में कोई श्लाघनीय गुण नहीं होता, वे अपनी ऐंठ और डाँट-फटकार से लोगों पर प्रभाव जमाते हैं, किंतु गुणवानों को इनकी आवश्यकता नहीं। उनका प्रभाव तो स्वतः सिद्ध है। यदि विनयशील मनुष्य का समाज में प्रभाव थोड़ा हो, तो विनयशील मनुष्य का दोष नहीं; यह समाज का दोष है। इसके अतिरिक्त प्रेम का प्रभाव चाहे थोड़ा हो, पर दबाव के प्रभाव की अपेक्षा, वह चिरस्थायी होता है। यदि थोड़ी देर के लिए मान भी लिया जाए कि विनय सब स्थानों में काम नहीं देती – जैसे शत्रु के सम्मुख, तथापि हमें वह कहना पड़ेगा कि विनयशील पुरुष को ऐसे अवसर कम आएँगे कि जब अपनी विनय के कारण दुखद अनुभव करना पड़े। विनय के साथ निरभिमानता, मानव जाति का आदर, सहनशीलता, धैर्य आदि अनेक सद्गुण लगे हुए हैं।
1) विनय के साथ जुड़े अन्य सद्गुण कौन-से हैं?
2) प्रेम तथा दबाव के प्रभाव में क्या अंतर है?
3) विनय किन-किन स्थानों पर प्रभावशाली नहीं होता?
4) विनय का अभाव क्या प्रकट करता है?
5) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।