भारत एक महान देश है। विश्व में यही एकमात्र एसा देश है जो इतनी विविधताओं और विभिन्नताओं से परिपूर्ण है। स्थान-स्थान की जलवायु में भी विभिन्नता दिखाई देती है। यहाँ के अनेक धर्मों, विश्वासों, मत-मतांतरों तथा संस्कृतियों के संगम को देखखर इसे ‘अनेकताओं’ का देश कहकर पुकारा गया है। परंतु विभिन्नताएँ होते हुए भी भारत विभाजित नहीं है तथा जीवन के सभी क्षेत्रों में एकता का एक अखंड सूत्र जुड़ा हुआ है। भारत को उस पुष्पहार की संज्ञा दी जाती है जिसमें अनेकानेक रंग-रूप के पुष्पों को एक सूत्र द्वारा पिरोया गया है। हमारी जीवन मीमांसा, रहन-सहन, साहित्य, धार्मिक विश्वास, पूजा-पद्धति, देवी-देवता, तीर्थ स्थान, संगीत भारत की एकता को प्रदर्शित करते हैं। परंतु विदेशियों ने ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति को अपनाकर इस देश पर राज्य किया तथा हम सैकड़ों वर्षों तक गुलामी की जंजीरों में जकड़े रहे। विदेशी शासकों ने बड़ी कूटनीति से हमारी भावनात्मक एकता को खंडित कर दिया। उन्होंने भारतीय संस्कृति से भारतीयों को विमुख करने का जो चक्र चलाया, वह आज भी जारी है। आज भी हम अपनी संस्कृति एवं जीवन दर्शन से दूर होकर पश्चिम की चकाचौंध से प्रभावित होकर अपने जीवन-मूल्यों को भूल बैठे हैं।
1) भारत को अनेकताओं का देश कहकर क्यों संबोधित किया गया है?
2) भारत की उपमा एक पुष्पहार से क्यों दी जाती है?
3) भारत में अनेक प्रकार की विविधताएँ होते हुए भी उसकी एकता किन बातों से प्रकट होती है?
4) पश्चिम की चकाचौंध के कारण हम किसे भूल बैठे हैं?
5) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।