प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘सुजान भगत’ नामक कहानी से लिया गया है जिसके लेखक प्रेमचंद हैं।
संदर्भ : प्रस्तुत वाक्य को सुजान भगत जब अपने ही घर में वह अपने आपको तिरस्कृत होता हुआ देखकर अपनी पत्नी बुलाकी से कहता है।
स्पष्टीकरण : जब सुजान भगत को पत्नी और पुत्रों से कुछ-न-कुछ सुनना पड़ता है, तो वह परेशान हो जाता है और अपनी पत्नी से कहता है कि एक समय था कि इस घर में मेरा ही राज था, पर आज मैं पराधीन हो गया हूँ। इस प्रकार वह अपनी मजबूरी बताता है।