+1 vote
in Class 12 by kratos

कर्तव्य और सत्यता कहानी का सारांश लिखें।

1 Answer

+4 votes
by kratos
 
Best answer

कर्त्तव्य करना हम लोगों का परम धर्म है। कर्त्तव्य करने का आरंभ घर से ही शुरू होता है। कर्त्तव्य करना न्याय पर निर्भर है। इससे हमारा सन्तोष और आदर बढ़ता है। घर के बाहर, समाज में भी मित्रों, पड़ोसियों, नागरिकों के परस्पर कर्तव्यों को देखा जा सकता है। इस प्रकार संसार में मनुष्य का जीवन कर्त्तव्यों से भरा पड़ा है। मनुष्य समाज में रहता है। अतः आस-पास के लोगों के प्रति, समाज के प्रति और देश के प्रति हर एक के कई कर्त्तव्य होते हैं। कर्तव्यों के पालन से चरित्र की शोभा बढ़ती है।

मन की शक्ति हमें बुरे कर्मों से रोकती है और अच्छे कर्मों की ओर मोड़ती है। बुरे कर्मों से मन दुखी होता है और पछतावा होता है। अतः इन चीजों से सदा बचते रहना चाहिए। कुछ लोग ठग विद्या को अपनाकर झूठ का सहारा लेकर, चाटुकारिता को अपनाकर धन कमाते हैं। जीवन में आगे बढ़ते हैं और समाज में सम्मान पाते हैं। बुराई से भरे इस मार्ग को नहीं अपनाना चाहिए। सन्मार्ग पर चलने वालों को समाधान होता है, उन्हें तृप्ति मिलती है।

धर्म के मामले में चित्त की चंचलता, उद्देश्य की अस्थिरता और मन की निर्बलता बाधा डालती है। स्वार्थी प्रवृत्ति भी अड़चन पैदा करती है। आलस्य और भले-बुरे कर्मो का ज्ञान, यह भी बाधक है। डूबते जहाज का उदाहरण देते हुए कहा गया है कि पुरुषों ने अपने प्राणों की चिंता किए बिना स्त्रियों को बचाने का कर्तव्य-पालन किया। कर्त्तव्य और सत्यता का चोली-दामन का रिश्ता है। संसार में कोई काम झूठ बोलने से नहीं चल सकता। कुछ लोग अप्रिय सत्य का सहारा लेकर झूठ बोलते हैं। लेखक की दृष्टि में यह पाप है। ऐसे लोगों की पोल एक दिन खुल ही जाती है।

संसार में कई लोग ऐसे हैं, जो झूठ बोलने को चतुराई समझते हैं। कई प्रकार के झूठ बोलनेवाले लोग संसार को नष्ट कर देते हैं। मनुष्य का परम धर्म है सत्य बोलना। सत्य बोलने से ही समाज में हमारा सम्मान बढ़ता है। लेखक अंत में ‘सत्यम् वद, धर्मम चर’ की उक्ति के माध्यम से कहते हैं कि सत्य बोलने से ही धर्म की रक्षा होती है। इस प्रकार कर्त्तव्य और सत्यता से सुख और संतोष की प्राप्ति होती है।

...