प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘एक कहानी यह भी’ नामक पाठ से लिया गया है जिसकी लेखिका मन्नू भण्डारी हैं।
संदर्भ : प्रस्तुत वाक्य में लेखिका स्वयं अपने पिता के स्वभाव का परिचय देते हुए इसे कहती हैं।
स्पष्टीकरण : मन्नू भण्डारी के पिताजी एक सुशिक्षित संवेदनशील व्यक्ति थे। जब वे इन्दौर में थे, तब उनकी बड़ी प्रतिष्ठा थी, सम्मान था, नाम था। राजनीति के साथ-साथ समाज-सुधार के कारण वे बेहद क्राधा गए। गिरती आमधारण, अपनों के हा कामों से भी जुड़े हुए थे। लेकिन एक बड़े आर्थिक झटके के कारण, अपनों के हाथों विश्वासघात किए जाने के कारण वे इंदौर से अजमेर आ गए। गिरती आर्थिक स्थिति, नवाबी आदतें, अधूरी महत्वाकाँक्षाएँ आदि के कारण वे बेहद क्रोधी और शक्की मिजाज के बन गए।