प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘एक कहानी यह भी’ नामक ‘ पाठ से लिया गया है जिसकी लेखिका मन्नू भण्डारी हैं।
संदर्भ : एक बार कॉलेज से प्रिंसिपल का पत्र आया कि पिता जी आकर मिलें। पत्र पढ़ते ही पिता जी आग-बबूला होकर यह वाक्य अपनी पत्नी से कहते हैं।
स्पष्टीकरण : यश-कामना पिताजी की सबसे बड़ी दुर्बलता थी। वे हमेशा सोचा करते कि कुछ ऐसे काम करने चाहिए कि समाज में उनका नाम हो, सम्मान हो, वर्चस्व हो। अपने वर्चस्व को धक्का लगनेवाली किसी भी बात को वे बर्दाश्त नहीं कर पाते। एक बार कालेज से प्रिंसिपल का पत्र आया कि आपकी बेटी के खिलाफ अनुशासनात्मक कारवाई क्यों न की जाए। पत्र पढ़ते ही मन्नू के पिताजी आग-बबूला होकर उपरोक्त वाक्य कहते हैं।