चीफ के कहने पर माँ की असहनीय स्थिति को जानकर भी मिस्टर शामनाथ स्वार्थवश होकर अपनी तरक्की के लिए माँ को फुलकारी बनाने के लिए मजबूर करता है। जैसे ही दावत हुई, सारे मेहमान जा चुके, तो काफी देर होने के बावजूद भी शामनाथ ने माँ की कोठरी में जाकर उसे आलिंगन में भरकर कहा कि – ‘ओ अम्मी! तुमने तो आज रंग ला दिया! साहब तुमसे इतना खुश हुआ कि क्या कहूँ? ओ अम्मी! ओ अम्मी!’ बेटे की स्वार्थी भावना देखकर माँ की आँखों में आँसू आ गए।