शामनाथ को पत्नी की बात भी माननी पड़ती है और माँ का ख्याल भी रखना पड़ता है। पत्नी की बात सुनकर कभी-कभी माँ का अनादर भी कर बैठता है, परन्तु माँ की सहनशीलता के सामने आखिर उसको नतमस्तक होना पड़ता है। अपनी नौकरी व तरक्की के लिए अंग्रेज चीफ़ की खुशामद करना जरूरी होता है। माँ के कारण चीफ़ साहब बहुत खुश होते हैं, तो वह माँ का ‘आलिंगन कर अपने आपको धन्य मानता है।