ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए :
‘जानती नहीं, साहब खुश होगा, तो मुझे तरक्की मिलेगी?’
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘चीफ़ की दावत’ नामक पाठ से लिया गया है जिसके लेखक डॉ. भीष्म साहनी हैं।संदर्भ : इस वाक्य को शामनाथ ने अपनी माँ से कहा कि साहब खुश होंगे तो मेरी तरक्की होगी।स्पष्टीकरण : चीफ़ साहब के चले जाने के बाद शामनाथ खुशी से झूमते हुए माँ को आलिंगन में भर लिया। माँ तुमने तो रंग ला दिया। साहब तुमसे इतना खुश हुए कि क्या कहूँ। माँ साहब को खुश रखेगें, तो मुझे तरक्की भी मिलेगी।