चित्रगुप्त बार-बार चश्मा पोंछ, बार-बार थूक से पन्ने पलट, रजिस्टर पर रजिस्टर देख रहे थे। गलती पकड़ में नहीं आ रही थी। आखिर उन्होंने रजिस्टर खीझकर इतनी जोर से बंद किया कि मक्खी चपेट में आ गई। उसे निकालते हुए उन्होंने धर्मराज से कहा – “महाराज, रिकार्ड सब ठीक है। भोलाराम नामक व्यक्ति के जीव ने पाँच दिन पहले देह त्यागी और यमदूत के साथ इस लोक के लिए रवाना भी हुआ पर अभी तक नहीं पहुंचा। यमदूत भी लापता है।”