प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘भोलाराम का जीव’ नामक पाठ से लिया गया है जिसके लेखक हरिशंकर परसाई हैं।
संदर्भ : इस प्रश्न भोलाराम का जीव फाइल में से पूछता है।
स्पष्टीकरण : भोलाराम एक सरकारी कर्मचारी था। पाँच वर्ष पहले रिटायर हो गया था लेकिन अभी तक पेंशन नहीं मिली थी। परिवार निभाना मुश्किल हो गया। अंत में वह मर जाता है। उसके जीव को लेकर जब यमदूत यमलोक आ रहा था, तो भोलाराम का जीव उसे चकमा देकर लापता हो गया। उस जीव को ढूँढते हुए नारद भू लोक आते हैं। सरकारी दफ्तर में बड़े साहब को ‘वजन’ के रूप में अपनी वीणा देकर उसकी फाइल माँगते हैं और पेंशन का ऑर्डर निकालने के लिए कहते हैं, तब फाइल में से भोलाराम का जीव चीख उठता है – पोस्ट मैंन है क्या? पेंशन का आर्डर आ गया?