टफ्स का पुस्तकालय अपने आप में अद्भुत है। इस चार मंजिल इमारत की हर मंजिल पर विशाल वाचनालय है। पुस्तकालय में कुल 6,18,615 पुस्तकें हैं। विद्युतचालित आलमारियों में रखी ये पुस्तकें मात्र एक बटन दबाने से सामने उपलब्ध होती हैं। आप जी-भरकर पढ़िए, पन्ने पलटिये या नोट्स बनाइये, वापस बटन दबाइए, आलमारी अपने-आप बंद हो जाएगी। इससे जगह की बचत और पुस्तकों की सुरक्षा भी होती है। पुस्तकों के बीच मनमाना समय गुजारने के बाद जब पुस्तकालय के द्वार से बाहर निकलते हैं, एक अलार्म जता देता है कि आपके पास कोई छुपी हुई पुस्तक नहीं है। यहाँ इंडिक भाषा विभाग में कई दुर्लभ ग्रंथ देखने को मिलते हैं। यहाँ हिन्दी, अवधी, ब्रज भाषा, राजस्थानी, भोजपुरी, पहाड़ी और मैथिली की अनेकों पुस्तकें हैं। यहाँ पर कई दुर्लभतम पुस्तकों के लिए ‘नवलकिशोर संग्रह’ है जिसमें 187 ग्रन्थ उपलब्ध है। सरस्वती, विशाल भारत और माधुरी के अंक भी यहाँ उपलब्ध हैं। यहाँ फीजी का प्रथम हिन्दी उपन्यास ‘डउका पुरान’ भी देखने को मिलता है।