बादलों से तथा वसन्त ऋतु से हमें प्रेरणा मिलती है कि हम स्वर्ग में नीलम की तरह रहने वाले बादल न बने बल्कि जिस प्रकार बादल उमड़-घुमड़कर इस तृप्त धरा को शीतलता प्रदान करते हैं वैसे ही हमें दूसरों की पीड़ा में शामिल होना चाहिए। ऋतुराज वसन्त से यह प्रेरणा मिलती है कि वह जिस प्रकार बार बार नित नूतन बनकर आता है वैसे हमें भी जीवन में नित नये प्रयोग करते रहना चाहिए।