महादेवी वर्मा ने वेदना का स्वागत करते हुए कहा है कि जिस लोक में अवसाद नहीं, वेदना नहीं, ऐसे लोक को लेकर क्या होगा? जीवन की सार्थकता परिस्थितियों से डट कर मुकाबला करने में है। फूल, तारे, बादल, वसंत आदि प्रकृति से अनेक बिम्बों का प्रयोग करके कवयित्री ने जीवन के प्रति गहरी आस्था व्यक्त की है। कवयित्री को वेदना का वह रूप प्रिय है जो मनुष्य के संवेदनशील हृदय को समस्त संसार से बाँध देता है। जीवन में वेदना की अनुभूति का महत्व तथा संघर्ष पथ पर निरंतर आगे बढ़ने का संदेश दिया है।