प्रस्तुत कविता महादेवी वर्मा की ‘नीहार’ काव्यग्रंथ से ली गई है। वेदना और करुणा आपके काव्य की अनुभूति है। जीवन की सार्थकता परिस्थितियों से मुकाबला करने में है, न कि पलायन करने में। फूल, तारे, वसंत, बादल आदि प्रकृति से अनेक बिम्बों का प्रयोग करके, जीवन के प्रति गहरी आस्था व्यक्त की गई है। वे अमरों के लोक को भी ठुकरा कर अपने मिटने के अधिकार को बचाये रखना चाहती हैं। निरंतर आगे बढ़ने के लिए कवयित्री संदेश देती हैं।