महाकवि कुवेंपु (कुप्पळ्ळि वेंकटप्पा पुट्टप्पा) आधुनिक कन्नड साहित्य के सुप्रसिद्ध कवि एवं साहित्यकार हैं। साहित्य की कोई ऐसी विधा नहीं है जिसमें कुवेंपु जी ने न लिखा हो। आपका जन्म कर्नाटक राज्य के चिक्कमगळूर जिले के कोप्पा नामक गाँव के वेंकटप्पा गौडा और श्रीमती सीतम्मा के सुपुत्र के रूप में 29 दिसंबर 1904 ई. को हुआ। आपकी प्रारंभिक शिक्षा तीर्थहळ्ळि में और उच्च शिक्षा मैसूर विश्वविद्यालय के महाराजा कॉलेज में हई। आप मैसर विश्वविद्यालय के महाराजा कॉलेज में कन्नड़ भाषा के प्राध्यापक एवं प्राचार्य भी रहे। तदुपरांत मैसूर विश्वविद्यालय के कुलपति बनने का सौभाग्य आपको प्राप्त हुआ।
प्रमुख रचनाएँ : ‘रामायण दर्शनम’ (महाकाव्य), ‘चित्रांगदा’ (खंड काव्य), ‘कोळलु’, ‘कोगिले मत्तु सोवियत रश्या’, ‘नविलु’, ‘पक्षिकाशी’, ‘पाँचजन्य’, ‘कलासुंदरी’, ‘प्रेम काश्मीर’, ‘चंद्रमंचक्के बा चकोरी’, ‘इक्षुगंगोत्री’ आदि (कविता संग्रह), ‘कानूरू सुब्बम्मा हेग्गडिति’ और ‘मलेगळल्लि मदुमगळु’ (उपन्यास) हैं। ‘सन्यासी मत्तु इतर कथेगळु’ (कथासंग्रह), ‘बेरळगे कोरळ’, ‘रक्ताक्षी’, ‘बिरुगाळी’ आदि (नाटक), ‘बोम्मन हळ्ळिय किंदरिजोगी’ (बालसाहित्य)। ‘रामायण दर्शनम’ महाकाव्य पर आपको ज्ञानपीठ पुरस्कार से विभूषित किया गया।