कवि नरेन्द्र शर्मा ने ‘कायर मत बन’ कविता में मानव को कायर नहीं बनने का संदेश दिया है। कवि मानवता को अत्यधिक महत्व देते हुए दुष्टों के सम्मुख आत्मसमर्पण न करने के लिए कहते हैं। युगों तक खून-पसीना बहाकर, अत्यधिक परिश्रम से मानवता रूपी वृक्ष को जो निर्माण किया है, उसके तले आराम से जीना चाहिए। यदि कोई मूर्ख ‘युद्धम् देहि’ कहे तो उसका मुँह तोड़ जवाब देना चाहिए। या तो प्यार के बल पर से उसे जीतना चाहिए नहीं तो उसे सबक सिखाना चाहिए क्योंकि ‘मानव’ अमोल है। ले-दे कर जीना, जीना नहीं है। धैर्य और साहस से दुष्टों का विनाश करके प्रजा की रक्षा करनी चाहिए। व्यक्तिगत तौर पर भी हमेशा गम के आँसू पीते कब तक हम रह सकते हैं? साहस से कष्टों का सामना कर मानवता के पथ पर निरंतर आगे बढ़ना चाहिए।