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in Class 12 by kratos

ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए :

ले-देकर जीना क्या जीना?
कब तक गम के आँसू पीना?
मानवता ने सींचा तुझको
बहा युगों तक खून-पसीना।

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by kratos
 
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प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘कायर मत बन’ नामक आधुनिक कविता से लिया गया है, जिसके रचयिता नरेन्द्र शर्मा हैं।

संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने मनुष्य को कायर न बनने का संदेश देते हुए कहा है कि मनुष्य को मनुष्यता का ध्यान भी रखना अवश्यक है।

भाव स्पष्टीकरण : कवि इसमें मानवता को अत्यधिक महत्व देते हुए दुष्टों के सम्मुख आत्मसमर्पण न करने के लिए कहते हैं। हमेशा समझौता करके, हार के, ले-देकर जीना, जीना नहीं है। कब तक तुम दुःख के आँसू पीते हुए, कष्ट सहते ही रहोगे? मानवता ने तुमको अमृत जल से सींचा है। तुम्हें सुख भोगने का अधिकार है। इसलिए शत्रुओं से डटकर मुकाबला करो, कायरता छोड़ दो, साहसी बनो।

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