प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के आधुनिक कविता ‘कायर मत बन’ से लिया गया है जिसके रचयिता नरेन्द्र शर्मा हैं।
संदर्भ : कवि मनुष्य को कायर न बनने का संदेश एवं मानवता को अत्यधिक महत्व देते हुए दुष्टों के सम्मुख आत्मसमर्पण न करने के लिए कहते हैं।
व्याख्या : प्रस्तुत पद्यांश में कवि मनुष्य को संबोधित करते हुए कहते हैं कि हे मानव तुम सब कुछ बनो किन्तु डरपोक या कायर मंत बनो। मार्ग में यदि पत्थर भी तुम्हारे मार्ग को रोकते हैं, तो ठोकर मार कर उन्हें वहाँ से हटा दो, किन्तु उनके सामने तुम झुको नहीं। माथा पटकना अर्थात् जीवन में आनेवाली कठिनाइयों से निराश होना व्यर्थ हैं।
विशेष : भाषा – शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली।
भाव – सरल, सरस एवं प्रवाहमय।